कोटेश्वर से किलागेटः 2011 में 35 फीट अब 50 फीट, लोग बोले- ये गलत

कोटेश्वर से किलागेटः 2011 में 35 फीट अब 50 फीट, लोग बोले- ये गलत


ग्वालियर । कोटेश्वर से किलागेट तक सड़क चौड़ीकरण के लिए हाल ही में जिला प्रशासन ने जो कसरत की है, उस पर स्थानीय लोगों ने सवालिया निशान खड़े कर दिए हैं। इस तुड़ाई को लेकर लोग विरोध में हैं और उनका सीधा कहना है कि 2011 में 35 फीट की सड़क की चौड़ीकरण के नाम पर तुड़ाई की लेकिन जस का तस छोड़ दिया गया है। आज की स्थिति में जो कोटेश्वर से किलागेट तक बदहाल स्थिति है वह तत्कालीन प्रशासनिक अधिकारियों के कारण है। अब दोबारा प्रशासन ने सड़क चौड़ीकरण के लिए 50 फीट चौड़ाई की सड़क करने के लिए नपाई की है जो कतई प्रैक्टिकल नहीं है। पहले 2011 में 35 फीट और अब 50 फीट, इसका कोई मतलब ही नहीं है। इस संबंध में स्थानीय लोगों ने अपना पक्ष भी जिला प्रशासन के समक्ष रखा है।


ज्ञात रहे कि इस बार कोटेश्वर से घासमंडी तक 15 मीटर की रोड और घासमंडी से किलागेट तक 12 मीटर की रोड बनाए जाने का प्रस्ताव है। कोटेश्वर से घासमंडी मार्ग और घासमंडी से किलागेट के मार्ग पर सुगम ट्रैफिक नहीं मिलता है। यहां ज्यादातर स्थिति घासमंडी से किलागेट के बीच खराब रहती है, कोटेश्वर से शुरूआती मार्ग काफी हद तक चौड़ा है और यहां कॉमर्शियल क्षेत्र भी कम है। इस क्षेत्र में कहीं-कहीं संकरी सड़कें और अतिक्रमण के कारण लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। लंबे समय से इस क्षेत्र की ट्रैफिक समस्या को हल करने को लेकर मुद्दा उठता रहा लेकिन हल नहीं निकला। अब कोटेश्वर से किलागेट तक सड़क स्वीकृति होने के बाद यहां रोड चौड़ीकरण फाइनल हुआ है। यहां 100 संपत्तियों पर पहले चरण में फिर दूसरे चरण में 250 संपत्तियों पर निशान लगाए गए थे। इसके बाद तीसरे चरण में 172 संपत्तियों पर और निशान लगाने की कार्रवाई हुई।


जिला प्रशासन के सामने लोगों ने यह रखा पक्ष


किलागेट से कोटेश्वर तक वर्ष 2005 के मास्टर प्लान में 12 मीटर रोड प्रस्तावित थी। इसके लिए वर्ष 2011 में 6 फीट 6 इंच तोड़ने के नोटिस जारी किए गए थे। इसके अनुसार लोगों ने स्वयं तुड़ाई करते हुए जगह खाली की थी।


12 मीटर की मास्टर प्लान सड़क पर 6.8 मीटर कैरिज वे बनाया जा सकता है। ग्वालियर विकास योजना 2021 में अनेक आपत्तियां दर्ज होने के बाद भी इस कोटेश्वर से किलागेट सड़क को 18 मीटर चौड़ा करना प्रस्तावित किया गया है।


 

इंडियन रोड कांग्रेस के अनुसार इन सड़कों के कैरिज वे की चौड़ाई 10.5 मीटर निर्धारित है। माथुर की बगिया से पुलिस चौकी घासमंडी का क्षेत्र विकास योजना में आवासीय है।


पुराना ग्वालियर होने के कारण अधिकांश भवन करीब 100 साल पुराने हैं और पत्थर-गारा के बने हैं। इन्हें यदि 6 इंच भी तोड़ा जाएगा तो भवन मालिक को पूरी दीवार तोड़कर नई बनानी होगी।


9 साल से बदहाली, लोग दोबारा तक नहीं बना पाए


कोटेश्वर से किलागेट तक तत्कालीन कलेक्टर आकाश त्रिपाठी के समय 9 साल पहले तुड़ाई के लिए निशान लगाए गए थे और लोगों ने खुद तुड़ाई की थी। यहां लोगों ने अपने-अपने जितने हिस्से तोड़े उसे आजतक बना नहीं सके हैं और अधिकतर लोग संपत्ति तक छोड़ गए क्योंकि बना वे सकते नहीं थे और खंडहर जैसे मकान में रह भी नहीं सकते थे।


यहां धूल से परेशान लोग, जान तक जा रही


स्थानीय निवासी बीबी माथुर, प्रकाश सिंह राघव, अनिल दीक्षित, दर्शनलाल मिश्रा, उमेश दीक्षित और शांति बघेल ने बताया कि यहां पहले हुई तुड़ाई को ही लोग अभी तक झेल रहे हैं। धूल और प्रदूषण से हाल-बेहाल है। धूल-धुएं से पीड़ित अंजलि माथुर, चंद्रमोहन दीक्षित गुजर गए और कई बीमार भी हैं।