किताबी ज्ञान के साथ कानून की शिक्षा भी जरूरी : चौधरी
भितरवार। जिस प्रकार हमारे जीवन में सामान्य शिक्षा का अहम स्थान होता है, उससे कहीं ज्यादा हमें देश में संचालित विधि का ज्ञान होना आवश्यक है। आपको विधि की जानकारी होगी, तभी आप उसके दंडात्मक स्वरूप को समझेंगे। जब आपको परिणामों की जानकारी होगी तो निश्चित रूप से अपराधों से दूर रहेंगे। यह बात विकासखंड के ग्राम गड़ाजर स्थित शासकीय हाईस्कूल में गतदिवस आयोजित विधिक साक्षरता शिविर में व्यवहार न्यायाधीश दीपक चौधरी ने छात्रों को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने बच्चों को विधिक साक्षरता शिविर के उद्देश्य बताते हुए कहा कि विधिक सेवा प्राधिकरण समय-समय पर विभिन्न स्थानों पर विधिक साक्षरता शिविर आयोजित कर सामान्य जीवन में उपयोगी विधि संबंधी विषयों पर सरल एवं सहज ढंग से जानकारी उपलब्ध कराता है। इससे समाज का हर वर्ग जागरूक हो और हम विधि का पालन करते हुए अपने कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए अधिकारों के प्रति सजग रह सके। उन्होंने कहा कि प्राधिकरण का उद्देश्य है कि विधिक अधिकारों एवं कर्तव्यों की जानकारी समाज को देना है। उन्होंने छात्रों महिला हिंसा, महिला एवं बाल उत्पीड़न अधिनियम, बाल श्रम, पॉक्सो एक्ट, बाल विवाह, जूनाइल एक्ट, साइबर क्राइम की विस्तृत जानकारी के साथ ही गुड और बैड टच के बारे में भी आवश्यक जानकारी दी।
इस अवसर पर व्यवहार न्यायधीश मनीष कुमार पारीक ने भी उपस्थित छात्र-छात्राओं को कानूनी जानकारी के साथ व्यावहारिक जानकारी देते हुए बताया कि हमें अपने आसपास शहर एवं देश में क्या हो रहा है। इसकी भी जानकारी होनी चाहिए। हर क्षेत्र में जागरूक होकर अपने कानूनी अधिकारों को भी जानना चाहिए, ताकि हम हर क्षेत्र में आगे बढ़ सकें और जरुरत पड़ने पर कानूनी सहायता ले सकें। उन्होंने कहा कि विधिक अधिकारों के प्रति स्वयं जागरूक हो, वह दूसरों को भी जागरूक करें। जागरूकता के लिए बच्चे अच्छे एवं विश्वसनीय माध्यम होते हैं वे अपने घर के साथ ही अपने आस-पड़ोस को भी जागरूक करते हैं। उन्होंने प्रारंभिक कानूनी शिक्षा को स्कूलों के पाठ्यक्रम में शामिल करने की बात रखी।
बच्चे भी दें अपने परिजनों को हेलमेट पहनने की सलाह
न्यायाधीश श्री पारीक ने बच्चों से कहा कि उनके साथ होने वाले किसी भी प्रकार की घटना एवं दुर्घटना की जानकारी परिजनों को अवश्य दे, ताकि दोषियों को दंड मिल सके। बच्चे परिजनों को वाहन चलाते समय हेलमेट पहनने की सलाह दें। उन्होंने कहा कि नियम और कानून हमारी सहूलियत के लिए बनाए गए हैं, हमें इनका पालन करना चाहिए। किसी प्रकार की परेशानी होने पर बच्चे अपने सहपाठियों, शिक्षकों व अभिभावकों से अवश्य बताएं, ताकि समस्या का समाधान किया जा सके। उन्होंने सड़क सुरक्षा नियमों की जानकारी देते हुए बच्चों से 18 वर्ष की आयु के बाद ही वाहन चलाने की अपील की। इस अवसर पर स्कूल के प्रभारी प्राचार्य जय सिंह राठौर सहित अन्य शिक्षक एवं अभिभाषक प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।