डाक--यो----एकाग्रता के साथ की गई साधना ही स्थिर होती हैः राघव ऋृषि
ग्वालियर। भगवान की भक्ति तभी सार्थक होती है जब वह एकाग्रता के साथ की जाए। एकाग्रता के साथ की गई साधना ही स्थिर होती है। यह बात श्रीविष्णु महापुराण के सप्तम दिन कथा व्यास राघव ऋषि महाराज ने कही।
कथा व्यास राघव ऋषि महाराज ने कहाकि रुकमणी ने संतों, गुरुओं से भगवान श्रीकृष्ण के सौंदर्य, ऐश्वर्य की महिमा को सुना था। यह सुनकर ही रुकमणी ने भगवान श्री कृष्ण को अपना जीवन साथी मान लिया था। श्री विष्णु महापुराण के अंत में नारायण स्वरूप शर्मा, महेश अग्रवाल, अम्बरीश गुप्ता, गोपीशरण अग्रवाल, रामप्रसाद शाक्य, रामसिंह तोमर आदि ने भगवान की आरती उतारी।