115 साल पुरानी रामलीला का मंचन 5 मार्च से

115 साल पुरानी रामलीला का मंचन 5 मार्च से


ग्वालियर । भारत के विभाजन के पूर्व पाकिस्तान से चली आ रही रामलीला के मंचन की परंपरा आज भी जीवित है। 5 मार्च से जिंसी नाला नंबर 1 स्थित आदर्श रामलीला समिति द्वारा रामलीला का मंचन किया जाएगा। इसके साथ ही रामलीला के अंतिम दिन मनौती पूर्ण होने वाले भक्त पूरे देश से यहां आते हैं।


पत्रकारों से चर्चा करते हुए आदर्श रामलीला समिति के मोहनलाल अरोरा ने बताया कि पाकिस्तान के रसीदपुर जिले में झंग बिरादरी रहती थी। वहां पर इस रामलीला का मंचन किया जाता था। विभाजन के बाद झंग बिरादरी के लोग ग्वालियर आए और यहां पर रामलीला का मंचन शुरू किया। रामलीला के मंचन को वर्तमान समय में 115 साल पूरे हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि रामलीला के मंचन के अंतिम दिन 11 मार्च को चल समारोह निकाला जाएगा। इस दिन देशभर से मन्नत पूरी होने वाले लोग मनौती चढ़ाने के लिए यहां आते हैं। रामलीला के शुभारंभ के लिए 2 मार्च को भूमिपूजन एवं सुंदरकांड का पाठ किया जाएगा। तीन मार्च को रंग उत्सव मनाया जाएगा। इसमें लोग एक-दूसरे के घर व दुकानों पर जाकर गुलाल लगाएंगे। 4 मार्च को माता की चौकी सजेगी, 5 मार्च को श्रवण कुमार और रामजन्म के साथ रामलीला का शुभारंभ होगा। 6 मार्च को धनुष यज्ञ, 7 मार्च को राम वनवास, 8 मार्च को केवट संवाद, 9 मार्च को भरत मिलाप, 10 मार्च को नाट्य मंचन, 11 मार्च को चल समरोह का आयोजन किया जाएगा।



पहले होते थे विभिन्न नाट्यों के मंचन


पाकिस्तान के रसीदपुर जिले में झंग बिरादरी द्वारा पहले होली पर नाटक खेले जाते थे। इसमें भक्त प्रहलाद , सत्य की विजय, वीर अभिमन्यु जैसे नाट्य होते थे। इसके बाद यहां 115 साल पहले रामलीला का मंचन शुरू किया गया।